कार्य सरलीकरण का अर्थ मुख्य तत्व व तकनीक ( Meaning, Main Elements and technique of Work Simplification)
कार्य सरलीकरण का अर्थ ,मुख्य तत्व और तकनीक (Meaning, Main Elements and technique of Work Simplification)
कार्य सरलीकरण का अर्थ (Meaning of Work Simplification) --
किसी
कार्य को सबसे सरल, शीघ्र और आसान करने के सुविधाजनक तरीके से करना। जो हाथ व शरीर की गति पर निर्भर करता है। जिससे समय व
शक्ति का कम उपयोग करना पड़े कार्य सरलीकरण कहलाता है।
कार्य
सरलीकरण का विचार मार्विन
मुण्डेल द्वारा दिया गया था। सबसे पहले अमरीका की कम्पनी "अमेरिकन
हार्ट एसोसिएशन " ने इसका प्रयोग उधोगों में किया। इस एसोसिएशन ने अपंग
स्त्रियों व रोग पीड़ित महिलाओं के पास ऊर्जा की मात्रा में कमी को देखते हुए
कार्य सरलीकरण पर बल दिया।
ब्रिटेन
में सप्ताह में 40 घंटे काम की बात कही गई। जिसमें का ,मनोरंजन ,आराम
के लिए दिन के 24 घंटो को 8:8:8 में बता गया।
कार्य सरलीकरण के मुख्य तीन बिंदु है।(There are three main points of work simplification)
1.धन (Money) 2.समय (Time) 3.शक्ति (Energy)
कार्य सरलीकरण तकनीक को अपनाने से धन समय व शक्ति की बचत होती है।
कार्य सरलीकरण के तीन मुख्य तत्व है|
1. कार्य (Work) 2. कार्यकर्ता (Worker) 3. कार्यक्षेत्र (Work Place)
कार्य सरलीकरण को तीन कारक प्रभावित करते है।
- कार्य विधि- कार्य करने की उचित विधि का प्रयोग करना।
- कार्यकर्ता -कार्य कर्ता को कार्य कौशल होना।
- कार्यक्षेत्र - कार्य करने का क्षेत्र कार्य कर्ता की शारीरिक स्थिति के अनकूल होना।
कार्य के पहुंच का दायरा (Work Area fo Reach)
अधिकतम क्षेत्र -- लगभग 210 सेंटी मीटर
सामान्य क्षेत्र -- 80 से 90 सेंटी मी. तक
प्रभावी क्षेत्र --145 सेंटी मी.
लोगों में कार्य सरलीकरण के लिए रूचि जागृत करने के निम्न तरीके है।
- जीवन की अवस्थाओं के दौरान कार्य भार की अधिकता
समय व शक्ति का ज्ञान देना ।
- कार्य सरलीकरण के उद्देश्य व उससे मिलने वाले लाभों का ज्ञान देना।
- लोगों को नये विचारों और तकनीकों के प्रति प्रेरित करना।
- अशिक्षित महिलाओं को फिल्मों के माध्यम से कार्य सरलीकरण की जानकारी देना।
- कार्य सरलीकरण के तरीकों का प्रदर्शन के द्वारा जानकारी देना
कार्य सरलीकरण तकनीक (Techniques of Work Simplification)
औपचारिक तकनीक (Formal Techniques) –इस तकनीक में एक प्रयोग आवश्यकता होती है। इसके साथ ही इस विधि को
जानने वाले किसी कुशल व्यक्ति की भी आवश्यकता पड़ती है। |
अनौपचारिक विधि (Informal Techniques) -इसे पेन पेंसिल विधि भी कहते है। और ( Man
Analysis Method ) भी
कहा जाता है। इस विधि को कोई भी साधारण व्यक्ति कर सकते है। |
1.सायकल ग्राफ विधि (Cycle Graph Method) –इसमें फोटो ग्राफिक यंत्र का प्रयोग
किया जाता हैइसे क्रोनो सायकल ग्राफ (Chronocycle Graph) के नाम से भी जाना जाता है। कार्यकर्ता की
हाथ की बीच की ऊँगली में एक बल्ब वाली
अंगूठी पहनाई जाती है बल्ब के द्वारा उसकी गति का ग्राफ बनता जाता है। परिणामों
को रिकार्ड करके यह देखा जाता है कि काम
लयपूर्ण था या अलयपूर्ण। |
1.प्रोसेस चार्ट (Process Chart) -इस चार्ट में कार्यकर्ता के कार्य के सभी चरणों का शोध किया जाता है। इन चरणों के प्रकारों को प्रतीकों के द्वारा वर्गीकृत किया जाता है।
प्रोसेस चार्ट को बनाने के लिए दो लोगों की आवश्यक होता है। एक कार्यकर्ता दूसरा निरीक्षण कार्य व रिकार्ड बनाने के लिए। |
2.माइक्रोमोशन फिल्म विश्लेषण (Micromotion Film Analysis)-यह एक शोध तकनीक है। इसमें हाथ व शरीर
की छोटी-छोटी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता
है। इसके साथ ही काम को पूर्ण करते समय उपकरणों के प्रयोग का भी अध्ययन किया
जाता है। कार्यकर्ता के प्रत्येक काम की गति विधि का रिकार्ड बनाया जाता है। |
2.आपरेशन चार्ट (Operation Chart) -यह प्रोसेस चार्ट की ही तरह ही कार्य करता है। केवल अन्तर यह होता है की इसमें दोनों हाथों की क्रिया का अध्ययन अलग-अलग किया जाता है। इसमें प्रतीक चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं।
O उँगलियों की गति का अध्ययन ⛛ भुजा ,उँगलियों के आलस्य का अध्ययन |
3.स्टॉप वाच विधि (Stopwatch Techniques) -इस विधि में समय को महत्व दिया जाता
है। इसमें कार्यकर्ता के काम के समय की इकाई को गिना जाता है। यह विधि में समय
मापक इकाई (Time measurement Unit ) का प्रयोग किया जाता है। जिसमें समय के 1
सेकेण्ड के 0. 36 वाँ भाग या एक मिनट का
.0006 भाग को नापा जा सकता है। आजकल इलेक्ट्रॉनिक विधि से 1 मिनट के 00001333 वाँ भाग को भी नापा जा
सकता है। |
3.मल्टी मैन चार्ट (Multiman Chart) -प्रोसेस चार्ट की प्रकार ही अध्ययन
प्रक्रिया है परन्तु इसमें एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक से अधिक लोगों का एक साथ
कार्य करने का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रोसेस चार्ट व आपरेशन चार्ट दोनों
के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग कर सकते
है। खुद के प्रतीक चिन्ह भी बना सकते है। इसमें कार्य में उत्पन्न रुकावटों का
तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। |
4.मैमो मोशन अध्ययन (Memomotion Study)-इस विधि में कार्यकर्ता की गतिविधि को नापा जाता है।
इसके लिए एक फ्रेम का प्रयोग किया जाता है। जिसके प्रयोग से कार्यकर्ता के समय व
घुमाव का अध्ययन करके उसका रिकार्ड
बनाया जाता है |
4.पाथवे चार्ट (Path Way Chart) - इस तकनीक का सर्वप्रथम श्रीमती गिल बर्थ ने
अपने साहित्य में प्रयोग किया। इस विधि में पिन और धागे का प्रयोग किया जाता है।
इसमें कार्यकर्ता के कार्य स्थल का फ्लोर ၀प्लान तख्ते पर बनाया जाता है। उस पर
कार्य कर्ता के कार्य करते समय उसके मुड़ने
की जगह पर पिन लगाकर व उसके मार्ग को धागे मापा जाता है |
खड़े होकर काम करने से कम थकान होती है क्योंकि बैठ क्र काम करने पर हमारे पूरे शरीर में ग्लूकोज़ ढंग से नहीं पहुँचता है। जिसके कारण शरीर में लैक्टिक एसिड बनने लगता है। जिसके कारण शारीरिक थकान होती है। मांशपेशियों की थकान को आरगोमीटर से नापा जाता है।
Importent Link-
- मार्विन मुण्डेल का परिवर्तन के वर्ग(Marvin Mundell's Classes of Change)
- अनुवांनशिक रोगों की सूची (Short Notes In Hindi)
- पोषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठन (Rashtriy aur Antarrashtriy Swasthya Sangathan)
- क्या है टीकाकरण (What is vaccination?)
- हॉर्मोन्स क्या होते है (what is Hormones in hindi )

.jpeg)
.jpeg)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt Please let me know. So that I can solved it