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प्रोटीन और अमीनो एसिड का आवश्यक कार्य (Essential functions of proteins and amino acids)

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विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में प्रोटीन और अमीनो एसिड के कार्यों के क्विक रिवीजन नोट्स।  प्रतियोगी परीक्षाओं पूछे जाने वाले प्रश्नों के आसान और महत्त्वपूर्ण बिंदु जिन्हें रटना नहीं सिर्फ पढ़ना काफी है। प्रोटीन मानव शरीर में आवश्यक मैक्रोमोलेक्यूल्स हैं जो अमीनो एसिड से बने होते हैं।  वे विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे एंजाइम के रूप में कार्य करना, अणुओं का परिवहन करना, कोशिका संरचना का समर्थन करना और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में सहायता करना।     पहले पढ़ें - प्रोटीन की रासायनिक संरचना, गुण ,वर्गीकरण प्रोटीन और अमीनो एसिड का आवश्यक कार्य प्रोटीन के कार्य प्रोटीन के शरीर में आवश्यक कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है, जिनमें शामिल हैं:  1. एंजाइम:-  प्रोटीन उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं, शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं, जो पाचन, चयापचय और डीएनए प्रतिकृति जैसी प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक हैं।  2. संरचनात्मक समर्थन:-  कोलेजन जैसे प्रोटीन त्वचा, टेंडन और हड्डियों सहित ऊतकों को ताकत और ...

प्रोटीन की रासायनिक संरचना, गुण ,वर्गीकरण(Chemical structure, properties, classification of proteins)

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प्रोटीन की रासायनिक संरचना, गुण और वर्गीकरण के क्विक रिवीजन नोट्स।  प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु के साथ।" शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो हमें कार्बोहाइड्रेट्स , वसा प्रोटीन से मिलती है |प्रोटीन अमीनो एसिड से बने आवश्यक अणु हैं जो विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  वे ऊतकों के रखरखाव और मरम्मत का कार्य, एंजाइमों, हार्मोनों और अन्य चीज़ों के निर्माण में सहायक हैं, जो कोशिकाओं और जीवों की संरचना और कार्यप्रणाली में योगदान करते हैं। Read more-  अनुवांनशिक रोगों की सूची प्रोटीन शब्द का मुख्य अर्थ "पहले स्थान पर रहना " .सन 1938 में डच के निवासी मल्डर जो एक रसायनशास्त्री थे प्रोटीन को नाइट्रोजन युक्त प्रदार्थ कहा था |जिसे जीवन का मुख्य घटक कहा|हमारे शरीर में 50%प्रोटीन मांशपेशियों में ,20% हड्डियों में और 10% त्वचा में उपस्थित होता है |शेष जो भी बचता है वह शरीर के अन्य भागों में रहता है |  प्रोटीन की रासायनिक संरचना प्रोटीन की रासायनिक संरचना में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और क...

क्या है टीकाकरण (What is vaccination?)

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 क्या है टीकाकरण   घातक संक्रामक बीमारी के विरुद्ध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए टीके लगाए जाते हैं। शिशुओं के शरीर में प्रवेश कराए जाने वाले विशिष्ट प्रकार के एन्टीजन  की प्रक्रिया को टीकाकरण (वैक्सीनेशन) कहते हैं।इसे दो तरीकों से दिया जाता है। प्राथमिक -इंजेक्शन के रूप में, दूसरा गौण - बूस्टर डोज़  या मुंह में सीधा डालकर दिया जाता है। टीकाकरण बच्चों को जन्म से पांच वर्ष की उम्र तक दिया जाता है।  टीकाकरण विश्व स्तरीय अभियान है जो महत्वपूर्ण बीमारियों से लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है। यह बीमारियां जीवन खतरे का कारण बन सकती हैं। टीको के माध्यम से विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए एक शक्तिशाली तंत्र विकसित किया गया है। टीकाकरण के महत्व:-  टीकाकरण के महत्व को समझने के लिए, हमें बीमारी की विस्तारपूर्वक समझ की आवश्यकता होती है। बीमारी के लक्षण के बाद उपचार शुरू करना आमतौर पर असफल होता है। इसलिए, वैक्सीनेशन बच्चों में बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा झमता विकसित करने में सक्षम होता है। यह जीवन की अवधि बढ़ाता है।   व...

पोषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठन (Rashtriy aur Antarrashtriy Swasthya Sangathan)

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  स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठन   किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में स्वास्थ्य व पोषण के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी रखना आवश्यक है। विश्व में प्रायः समय समय पर स्वास्थ्य से जुड़े संकट आते रहते है।  जिनसे निपटने के लिए बहुत से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा योगदान दिया जाता है। जिसके लिए बहुत सी स्वास्थ्य संगठनों का गठन हुआ है।  आज हम इन संगठनों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते है।    स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र  में योगदान देने वाली महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगठन :- राष्ट्रीय पोषण संस्थान:- यह संस्थान भारत के हैदराबाद में है।  भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) की स्थापना 1918 में कुन्नूर (अब तमिलनाडु में) की एक कमरे की प्रयोगशाला से शुरू हुई।  एनआईएन के संस्थापक निदेशक सर रॉबर्ट मैककारिसन को भारत में पोषण अनुसंधान का जनक रूप में मन जाता है राष्ट्रीय पोषण अभियान जो कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान ( National Nutrition Institute) के नाम से भी...

अनुवांनशिक रोगों की सूची (Short Notes In Hindi)

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अनुवांनशिक रोगों की सूची (Short Notes In Hindi) जब माता का अंडा और पिता का शुक्राणु मिलकर एक भ्रूण बनाते है, तो उनके गुणसूत्र दो भागों में बटकर आपस में संयुक्त हो जाते हैं। शिशु में कुल 46 गुणसूत्र  होते हैं, 23 माता के अंडे से और 23 पिता के शुक्राणु से प्राप्त होते है। जो अनुवांशिकता का निर्धारण करती है । जब इन गुणसूत्रों में किसी प्रकार की आसमान्यता होती है। तो अनुवांशिक विकार उत्पन्न हो जाते है।  हमें अपने माता-पिता से बहुत सी चीजें विरासत में मिलती हैं ।जैसे -शक्ल-सूरत, हाव-भाव, लंबाई-चौड़ाई इसके साथ साथ उनके गुण पर क्या आप जानते हैं कि हमें अपने माता-पिता,पूर्वजों से बहुत सी बीमारियां भी मिल जाती हैं|जब कोई बीमारी  माता पिता से उनकी आने वाली पीढ़ी में स्थानांतरित होती है|उसेअनुवांशिक रोग कहते है।  अनुवांशिक रोग क्या है (What is Genetic Disorder) ? यह दोष अनुवांशिक अर्थात क्रोमोसोम्स में किसी प्रकार की गड़बड़ी या संरचना में असमान्यता के कारण बच्चों में अनुवांशिक रोग पहुँच जाते है। ऐसा किसी एक जींस या कई जींस में समस्या होने पर होता है । हमारे शरीर 23 जोड़े क्रोमोसोम...

कोशिका व कोशिका अंगों के खोजकर्ता (Human Cell Related Finder and Sientist in Hindi)

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 -- कोशिका व कोशिका अंगों  के खोजकर्ता--   कोशिका(Cell)--- Robert Hooke कोशिका  की खोज सर्वप्रथम रोबर्ट हूक ( Robert Hooke) ने 1665  में की थी| जिसे उनकी किताब माइक्रोग्राफिक में पाया जाता है| यही से कोशिका जीवविज्ञान की सुरुवात हुई थी | रोबर्ट हुक के बाद ऐंटोनी वॉन ल्यूवेनहुक(Anton Van Leeuwenhoek) ने कोशिका का सूक्ष्मदर्शी द्वारा व्यापक सूक्ष्म अध्धयन  किया था| इनके द्वारा शुक्राणु कोशिका की खोज हुई |    कोशिका का सिद्धांत(Theory of cell)--- कोशिका का सिद्धांत    को तैयार करने का श्रेय 1839 में  वैज्ञानिक  मत्थियस  श्लाइडेन(Matthias Schleden) तथा थिओडोर श्वान (Theoder Schwann)  को दिया जाता है| रुडोल्फ विरचो(Rudoif Virchow) द्वारा भी इस सिद्धांत में योगदान दिया गया था |कोशिका सिद्धांत के तीन सिद्धांत है |---- सभी सजीव एक या अधिक कोशिकाओं से मिलकर  बने है | कोशिका जीवन की सबसे सूक्ष्म इकाई है | सभी कोशिका पहले से उपस्थित कोशिकाओं से ही बनती है | कोशिका के अंग व उनके खोजकर्ता --- कोशिका झिल्ली Cell Membr...

हॉर्मोन्स क्या होते है (what is Hormones in hindi )

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  हॉर्मोन्स (Hormones in Hindi) Hormones हॉर्मोन्स या ग्रंथि रस यह कोशिकाओं व  अंत स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होने वाला जटिल कार्बनिक पर्दार्थ है| जो जीवित प्राणियों में होने वाली क्रियाओं पाचन ,प्रजनन ,वृद्धि विकास आदि का संचालन व नियंत्रण करती है|  हार्मोन्स दो  प्रकार के होते है - प्रसरण हॉर्मोन (Diffusion)  - वह हॉर्मोन्स जो शरीर के ऊतकों से निर्मित होते है और उन्ही पैर प्रभाव डालते है|   परिसंचारी या परिवर्तनशील हॉर्मोन्स (Cirulating)-  जो नलिकाविहीन ग्रंथियों से स्रावित होते है | यह हॉर्मोन्स पूरे शरीर पर  प्रभाव  डालते है परन्तु आजीवन प्रभावित रहते है | यह रक्त प्रवाह के द्वारा संचार मार्गो में घूमते रहते है|  अंत स्रावी ग्रंथिओं (नलिका विहीन ग्रन्थियाँ )द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स  पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland)-  पियूष ग्रंथि के अग्र भाग से स्रावित होने वाले हॉर्मोन्स - STH-Somta Tropic Hormone( Small Tall Hormons)- यह हॉर्मोन्स शारीरिक वृद्धि और अस्थियों की वृद्धि को प्रभावित करती है |इसे HCH(Human Growth ...