ऊतक क्या है ? (What is tessue in Hindi )
ऊतक क्या है ? (What is Tessue in Hindi )
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ऊतक Tessue
ऊतक फ्रांसीसी शब्द टिसू से लिया गया है|जिसका अर्थ बुनाई करना| कोशिका मानव शरीर की सबसे छोटी इकाई है । अनेक कोशिकाये मिलकर ऊतक बनातीं हैं । अनेक ऊतको के मिलने से अंग बनता है। अंग ऊतकों का समूह होता है। अंगो से मिलने से शरीर के विभिन्न संस्थानों का निर्माण होता है | जिससे एक मानव शरीर का निर्माण होता है | हमारे शरीर में अनेक प्रकार के ऊतक होते है परन्तु उनकी उतपत्ति व कार्य समान होते है | इनकी संरचना सामान होती है ऊतकों का अध्ययन ऊतक विज्ञानं histology के अन्तर्गत किया जाता है |
ऊतको का वर्गीकरण(Classfication of Tissue)
1- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue) – आच्छादन ऊतक ( उपकथा ऊतक ) त्वचा की ऊपरी परत वह बाह्य पर्त , पाचन प्रणाली, श्वास प्रणाली में होते हैं|
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यह प्रमुख दो प्रकार के होते हैं
- साधारण उपकला ऊतक - इसकी कोशिकाएं एक तह की होती हैं| इन पर आधारीय झिल्ली स्थित होती है| यह अत्यंत कोमल होती हैं उन भागों में पाई जाती हैं जहां शरीर की टूट-फूट कम होती है|
- संयुक्त उपकला ऊतक -
साधारण उपकला ऊतक के पांच प्रकार होते हैं----
- शल्की उपकला ऊतक -- चौड़ी तथा चपटी ,पतली आधारित झिल्ली पर स्थित ,इनका केंद्रक चपटा होता है |फेफड़ों ,वायु कोषों ,नेफ्रॉन के हेनेल लूप तथा वोमेन्स कैप्सूल में उपस्थित रहते है |
- घनाकार उपकला ऊतक-- इसका केन्द्रक गोल एक स्तर पर आधारीय झिल्ली , श्वसनी ,लार ग्रंथि ,थायराइड व अंडाशय की सतह पर होती है |
- स्तम्भाकार उपकला ऊतक-- लम्बे आकार की पतली इनके ऊपर बाल होते है| इस लिए इन्हे ब्रश आर्डर ऊतक भी कहते है बड़ी आंत में चूषक कोशिकाएं कहलाती है |
- रोम युक्त उपकला ऊतक-- स्तम्भाकार ,कोशिका के किनारो पर बाल(रोम) जो एक ही दिशा में गतिशील ,श्वसन अंग ,अंडवाहिनी ,सुषुम्ना के मध्य में होते है |
- ग्रन्थिल उपकला ऊतक-- इसमें नए पदार्थ बनते रहते है यह स्तन ग्रंथिया ,लार ग्रंथियाँ वायु कोष्ठों ,थायराइड ग्रंथियों में उपस्थित होता है |ये दो प्रकार की -1 . बाह्य स्रावी ग्रंथियां 2. अन्तः स्रावी ग्रंथियां
1-- बाह्य स्रावी ग्रंथि - (1) साधारण बाह्य स्रावी ग्रंथि
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यह त्वचा की निचली सतह पर पसीना पहुँचाती है |
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छोटी आंत तथा अमाशय में उपस्थित होती है |
(2) मिश्रित बाह्य स्रावी ग्रन्थियाँ
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1. मिश्रित नलीय बाह्य स्रावी ग्रन्थियाँ |
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मुँह की अधोजिव्हा ,लार ग्रन्थियाँ ,टायलिन नामक पाचक रस ) रेसिमोज ग्रन्थियाँ भी कहते है |
2-अन्तः स्रावी ग्रन्थियाँ - इनसे हार्मोन्स का स्राव होता है| जो सीधा रक्त में पहुँचता है इन्हे नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ भी कहते है| पिट्यूटरी ,थाइराइड ,थाइमस,एड्रीनल में होती है|
2- सयुक्त उपकला ऊतक -- इनमे तीन चार परतें होती हैयह बहरी सुरक्षा का कार्य करती है| रगड़ या घर्षण से ऊपरी परत हट जाती है| और निचे की कोशिकाएं उनका पुनः निर्माण क्र देती है| यह नाख़ून, बाल, त्वचा, मुँह, ग्रसनी ग्रासनली ,आँख, नाक, स्वर यंत्र, मूत्र नली में पायी जाती है|
संयुक्त उपकला ऊतक के पांच प्रकार होते हैं|---
1. अन्तरावर्ती संयुक्त उपकला ऊतक|
2. श्रृगिका स्तरित संयुक्त उपकला ऊतक|
3. अश्रृगिक स्तरित संयुक्त उपकला ऊतक|
4. स्तरित स्तम्भाकार संयुक्त उपकला ऊतक|
5. रोमक स्तरित संयुक्त उपकला ऊतक|
2- संयोजी ऊतक ( Connective tissue) – ये ऊतक अन्य सभी उत्तकों को एक साथ जोड़ने का काम करती है। इसे बहुप्रयोजनी ऊतक कहते हैं। इसका मुख्य घटक कोलेजन नामक प्रोटीन होता है।यह शरीर को ढांचा प्रदान करता है। यह कोशिका प्रिमिटिक कोशिकाओं से बनती है |इन्हे Filler Tissue भी कहते है|
संयोजी ऊतक कई प्रकार के होते हैं ---
1. अवकाशी ऊतक - यह हमारे अंगों के आसपास तथा अंगों के बीच में एक मजबूत पतली झिल्ली के समान होती है। श्वेत तंतुक ,पीला प्रत्यास्थ ऊतक तथा अन्य कई प्रकार की कोशिकाओं से मिलने से बनता है।
2. वसीय ऊतक – यह वसा युक्त पूरे शरीर में होती है| वसीय कोशिकाओं में वसा की छोटी छोटी ग्रंथियाँ होती हैं| जो वंशीय ग्रंथियाँ साइटोप्लाज्मा तथा केंद्रक को किनारे की ओर से धक्का देती है। यह आंतों की झिल्ली, धमनियों, शिराओं के मध्य अधिक होती है। यह ऊष्मा के सुचालक होते है|तापक्रम को नियंत्रित करते है,नाजुक अंगो की सुरक्षा करते है |
3. स्वेत तन्तुक संयोजी ऊतक -सफेद चमकदार अशाखीय मजबूत कड़े होते है| इनसे लिगमेंट्स तथा टेंडन्स बनते है|
4. पीला प्रत्यास्थ संयोजी ऊतक -पीले मोटे इलास्टिन प्रोटीन से बने होते है |
5. जालीय संयोजी ऊतक -बारीक़ पतली स्वतंत्र शाखाएँ ,इनके बीच में खाली स्थान बहुत कम होता है|
6. लसीकाभ संयोजी ऊतक - लसिका संस्थान की ग्रंथियाँ कोशिकाएँ वाहिनियाँ आती है| यह टांसिल छोटी आंत की श्लेष्मिक झिल्ली ,प्लीहा अस्थिमज्जा ,थाइमस में पाये जाते है|
7. उपास्थि संयोजी ऊतक - ये ऊतक बाल्यावस्था में अधिक होती है| जिससे उनके शरीर में लचीला पन आता है और उम्र बढ़ने के साथ अस्थि का रूप ले लेती है|इनमे रक्त वाहिनियाँ न होने के कारण रक्त की पूर्ति पेरिकार्डरियम से पूर्ण होती है यह तीन प्रकार के होते है --
(1) शुभ्र उपास्थि (2) तन्तुमय उपास्थि (3) लचीली उपास्थि
8. अस्थि ऊतक - कोलेजन तथा केलिजयम लवण की उपस्थिति के कारण इनमे सख्ती व मजबूती आती है|
9. रक्त ऊतक - यह तीन प्रकार के होते है -- (1) श्वेत रक्त ऊतक ,(2) लाल रक्त ऊतक (3) बिम्बाणु |
3- पेशीय ऊतक (Muscular Tissues -इनमे संकुचन होता है गति होने पर यह फैलती और सिकुड़ती है | यह तीन प्रकार के होते है --
(1) ऐच्छिक पेशीय ऊतक (2) अनैच्छिक पेशीय ऊतक (3) हृदय पेशीय ऊतक
4- तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissues) -हमारे सभी अंगो की सूचनाएं मष्तिस्क तक पहुंचाने का काम करती है | यह दो प्रकार की होती है |--- (1) संवेदी (2) प्रेरक
FAQ-
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