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मार्विन मुण्डेल का परिवर्तन के वर्ग (Marvin Mundell's Classes of Change)

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  मार्विन मुण्डेल  का परिवर्तन के वर्ग  (Marvin Mundell's Classes of Change) कार्य सरलीकरण लोगों की दो प्रकार से मदद करता है। एक तो वह कार्यकर्ता जो किसी प्रयोग शाला में जाकर कार्य सरलीकरण के निश्चित गति , समय व शक्ति की बचत करने की आसान विधियों का ज्ञान प्राप्त करता है। दूसरा यदि कार्य कर्ता में कार्य सरलीकरण के प्रति मानसिक रूप से रूचि जाग्रत की जाये तो काम करने में थकान व नीरसता में कमी आ जाती है।  कार्य सरलीकरण का विचार मार्विन मुण्डेल द्वारा 1940 में purdue university में  बताया। उन्होंने कार्य सरलीकरण के तरीकों को पाँच समूहों में वर्गीकृत किया ।प्रत्येक समूह में कार्यकर्ता की कार्य विधि में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन उत्पन्न करता है। मुण्डेल के परिवर्तन वर्ग में कुछ समय बाद में ग्रास एवं क्रैण्डल ने पाँच बिन्दुओं को  बदल कर तीन बिन्दु बनाये। जिनमें तीसरे ,चौथे ,पाँचवे बिन्दु को एक ही वर्ग सम्मलित कर दिया।  { मुण्डेल का परिवर्तन के वर्ग के पाँच बिन्दु }  1- हाथ और शरीर की गति में परिवर्तन-- इस बिन्दु में कार्य सरलीकरण के कुछ प्रकार निम...

कार्य सरलीकरण का अर्थ मुख्य तत्व व तकनीक ( Meaning, Main Elements and technique of Work Simplification)

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कार्य सरलीकरण का अर्थ ,मुख्य तत्व और तकनीक      (Meaning, Main Elements and technique of Work Simplification) कार्य सरलीकरण का अर्थ ( Meaning of Work Simplification) -- किसी कार्य को सबसे सरल, शीघ्र और आसान करने के सुविधाजनक तरीके से करना। जो हाथ व शरीर की गति पर निर्भर करता है। जिससे समय व शक्ति का कम उपयोग करना पड़े कार्य सरलीकरण कहलाता है।  कार्य सरलीकरण का विचार मार्विन मुण्डेल द्वारा दिया गया था। सबसे पहले अमरीका की कम्पनी " अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन " ने इसका प्रयोग उधोगों में किया। इस एसोसिएशन ने अपंग स्त्रियों व रोग पीड़ित महिलाओं के पास ऊर्जा की मात्रा में कमी को देखते हुए कार्य सरलीकरण पर बल दिया।  ब्रिटेन में सप्ताह में 40 घंटे काम की बात कही गई। जिसमें का ,मनोरंजन ,आराम के लिए दिन के 24 घंटो को 8:8:8 में बता गया।  कार्य सरलीकरण के मुख्य तीन बिंदु है। ( There are three main points of work simplification) 1.धन (Money)                  2. समय (Time)             ...

क्या है टीकाकरण (What is vaccination?)

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 क्या है टीकाकरण   घातक संक्रामक बीमारी के विरुद्ध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए टीके लगाए जाते हैं। शिशुओं के शरीर में प्रवेश कराए जाने वाले विशिष्ट प्रकार के एन्टीजन  की प्रक्रिया को टीकाकरण (वैक्सीनेशन) कहते हैं।इसे दो तरीकों से दिया जाता है। प्राथमिक -इंजेक्शन के रूप में, दूसरा गौण - बूस्टर डोज़  या मुंह में सीधा डालकर दिया जाता है। टीकाकरण बच्चों को जन्म से पांच वर्ष की उम्र तक दिया जाता है।  टीकाकरण विश्व स्तरीय अभियान है जो महत्वपूर्ण बीमारियों से लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है। यह बीमारियां जीवन खतरे का कारण बन सकती हैं। टीको के माध्यम से विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए एक शक्तिशाली तंत्र विकसित किया गया है। टीकाकरण के महत्व:-  टीकाकरण के महत्व को समझने के लिए, हमें बीमारी की विस्तारपूर्वक समझ की आवश्यकता होती है। बीमारी के लक्षण के बाद उपचार शुरू करना आमतौर पर असफल होता है। इसलिए, वैक्सीनेशन बच्चों में बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा झमता विकसित करने में सक्षम होता है। यह जीवन की अवधि बढ़ाता है।   व...

पोषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठन (Rashtriy aur Antarrashtriy Swasthya Sangathan)

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  स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठन   किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में स्वास्थ्य व पोषण के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी रखना आवश्यक है। विश्व में प्रायः समय समय पर स्वास्थ्य से जुड़े संकट आते रहते है।  जिनसे निपटने के लिए बहुत से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा योगदान दिया जाता है। जिसके लिए बहुत सी स्वास्थ्य संगठनों का गठन हुआ है।  आज हम इन संगठनों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते है।    स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र  में योगदान देने वाली महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगठन :- राष्ट्रीय पोषण संस्थान:- यह संस्थान भारत के हैदराबाद में है।  भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) की स्थापना 1918 में कुन्नूर (अब तमिलनाडु में) की एक कमरे की प्रयोगशाला से शुरू हुई।  एनआईएन के संस्थापक निदेशक सर रॉबर्ट मैककारिसन को भारत में पोषण अनुसंधान का जनक रूप में मन जाता है राष्ट्रीय पोषण अभियान जो कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान ( National Nutrition Institute) के नाम से भी...